Sunday, 18 February 2018

मोबाइल बैटरी से जुड़े इन Myths और उनकी सच्चाई

मोबाइल बैटरी से जुड़े इन Myths और उनकी सच्चाई
13_02_2018-mobile-battery

मोबाइल में बैटरी से जुड़ी हुई कुछ बातें या अफवाहों पर भी कुछ ज्यादा ही ध्यान जाता है, तो आज हम बात करेंगे मोबाइल बैटरी से जुड़े मिथकों के बारे में, जिनका हकीकत से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है।

सबसे पहला मिथ है कि मोबाइल की बैटरी को रातभर चार्ज नहीं करना चाहिए, इससे मोबाइल के खराब होने का अंदेशा जताया जाता है, लेकिन आजकल स्मार्टफोन में इनबिल्ट सर्किट होता है, जिससे किसी तरह के नुकसान का सवाल ही पैदा नहीं होता।

दूसरा मिथ यह है कि चार्जिंग के दौरान मोबाइल के उपयोग करने से ब्लास्ट हो सकता है, लेकिन इस बात में भी सच्चाई नहीं है। वास्तविकता यह है कि चार्जिंग के दौरान मोबाइल के हार्डवेअर या सॉफ्टवेअर में समस्या हो सकती है, लेकिन ब्लास्ट होने वाली बात पूरी तरह निराधार है।
यह भी कहा जाता है कि मोबाइल में ज्यादा एप्स डाइनलोड करने से बैटरी जल्दी खत्म होती है, लेकिन यह भी सिर्फ कही-सुनी बात है। एपके इंस्टाल करने का बैटरी के डिस्चार्ज से कोई संबंध नहीं है, बशर्ते आप अपने मोबाइल के एप्स को बार-बार नहीं खोलें।

4G नेटवर्क को भी ज्यादा बैटरी खपाने का जिम्मेदार माना जाता है और कहा जाता है कि फास्ट नेटवर्क की वजह से बैटरी की खपत ज्यादा होती है, जबकि हकीकत में नेटवर्क की क्वालिटी बेहतर न होने पर बैटरी डिस्चार्ज की समस्या होती है।

मोबाइल को लैपटॉप से चार्ज करने की मनाही की जाती है, लेकिन मोबाइल को लैपटॉप से चार्ज करने पर मोबाइल और लैपटॉप दोनो को कोई नुकसान नहीं होता है। हां, चार्जिंग की स्पीड जरूर कुछ कम होती है। 
बदलते दौर के साथ मोबाइल ने भी कई परिवर्तन देखे हैं। शुरुआती दौर में वॉइस कॉलिंग तक सीमित रहे मोबाइल में अब हमारी जरूरतों के कई एपशामिल हो चुके हैं। इससे हमारी जिंदगी पहले की तुलना में बेहद आसान हो गई है। जब भी हम मोबाइल खरीदने की सोचते हैं तो उसके फीचर्स पर ज्यादा ध्यान देते हैं। ताकी हम मोबाइल के जरिए अपडेट रहें।
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